जीवन का उद्देश्य/ Purpose of life

जीवन का उद्देश्य/Purpose of life

10/4/20231 min read

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आजकल का युथ "जीवन के उद्देश्य/ Purpose of life "की तलाश में भटक रहा है , बहुत सारे लोगो का इस पे अपना अपना मत है, कुछ भटकाते है और कुछ सही राह दिखाते है। आजकल के युथ को एक पर्पस की तलाश क्यों है जीवन में? क्या इसलिए की उनको नाम और शोहरत मिले या इसलिए की उनको जीवन में संतुष्टि मिले जो शायद उनके पास नहीं है? पर क्या ये जरुरी है की हर किसी के जीवन का पर्पस बहुत बड़ा हो , या हर कोई वो पर्पस जान पाए , मुझे नहीं लगता , और कभी कभी पूरा जीवन बीत जाता है उस पर्पस को जानने में, और कभी कभी जीवन का पर्पस बहुत छोटा होता है।

"जीवन का उद्देश्य /Purpose of life" जो भगवान ने हमारे लिए चुना होगा वो समाज के लिए भी तो हितकारी होगा? जैसे एक दिया खुद जलता है दुसरो को पथ दिखाने के लिए, दुसरो के जीवन में उजाला लाने के लिए क्या वैसे ही "जीवन का पर्पस " होता है जो भगवान हमको तब देते है जब हम उसके लिए पूरी तरह से तैयार हो, उस आत्मसमर्पण के लिए तैयार हो,क्युकि हर किसी में दिया बनने की क्षमता नहीं होती, खुद जलकर दुसरो को राह दिखने की क्षमता नहीं होती ,वो समर्पण करने का सहस नहीं होता। तो क्या हम सच में "पर्पस ऑफ़ लाइफ" को जानने के लिए तैयार है? क्या खुद को जलाकर दुसरो को राह दिखने के लिए तैयार है? शायद नहीं अगर होते तो भगवान हमको वो "पर्पस ऑफ़ लाइफ" की राह में लाकर खड़ा कर देते देते। तो क्यों जानना है हमको ये "पर्पस ऑफ़ लाइफ" क्यों नहीं जो काम हम कर रहे है उसमे खुश रहे, उसको इतना बेहतरीन करने की कोशिश करे की खुद पे खुद राह वहा तक ले जाये । जब हम इस लायक हो जायेंगे की खुद जल कर दुसरो को रौशनी दिखा पाए शायद उस दिन हम खुद ही अपना जीवन का पर्पस जान पाएंगे। तो मुझे नहीं लगता है की हमको उस "पर्पस ऑफ़ लाइफ" के पीछे भागना चाहिए बजाये इसके जो कुछ हम कर रहे है उसमे अपना 100 प्रतिशत दे और खुश रहे जीवन मे जो कुछ मिला है जो कुछ है उसमे और तप, संघर्ष और मेहनत को ही अपने "जीवन का लक्षय" बना ले।

जीवन में हमे एक्स्प्लोर करने की जरुरत जरूर है जिससे हम अपने "पैशन/Passion" को जान पाए , ये जान पाए की हमे किसमे खुशी मिलती है , "पर्पस ऑफ़ लाइफ " तो हमेशा bigger picture को दर्शयेगा जहा खुद के लिए नहीं समाज के लिए कुछ करना होगा, और पैशन जहा हम खुद के लिए कुछ करते है, जिसमे हमे खुशी भी मिलती है।

"जीवन का पर्पस" को निभाने में हमे हमेशा खुशी मिले ये जरुरी नहीं पर एक संतुस्टी जरूर मिलेगी ।क्युकि जीवन का पर्पस " भगवान हमे सिर्फ खुद की भलाई के लिए नहीं देंगे , वो समाज की भलाई के लिए होगा। और जब हम जीवन में तप ,मेहनत और संघर्ष के साथ आगे बढ़ेंगे तो हम खुश भी होंगे और संतुष्टि भी। और अपने आप उस "पर्पस ऑफ़ लाइफ "की तरफ बढ़ने लग जायँगे।

अंत में आप अपने जीवन में तप, संघर्ष और मेहनत को अपना उद्देश्य बनाओ और तुम पाओगे की तुमने बहुत अच्छे से अपने जीवन को जिया है और अपना "जीवन के उद्देश्य" को भी पूरा किया है।

धन्यवाद।

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